कैसा हो हमारा व्यवहार हमारे पड़ोसी के साथ?...
- Ajay Dubey
- Feb 7, 2023
- 4 min read
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी कहते थे कि हम अपने मित्र बदल सकते हैं पड़ोसी नहीं। इसलिए हमारा हर घर से प्रयास होना चाहिए कि हमारे संबंध पड़ोसियों के साथ मधुर न सही तो कम से कम सामान्य जरूर रहने चाहिए।

हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान आज जिन परिस्थितियों से गुजर रहा है और बात किसी से छिपी नहीं है। कितनी उथल पुथल और अस्थिरता आज वहां है वैसी स्थिति पहले कभी नहीं थी। यह बात भी बिल्कुल सच है कि आज कि उसकी परिस्थिति का जिम्मेदार वह खुद है। वहां की सेना और सियासी दल के बीच हमेशा एक ऐसा गठबंधन रहा है कि दोनों एक दूसरे की तिजोरियों को डॉलर से भरने में सहयोग करते रहे हैं। इनको देश की आम जनता की कभी परवाह नहीं रही। आम लोगों की बदहाली से उपजे असंतोष को शांत करने के लिए हमेशा भारत विरोधी नारे लगाए गए, कश्मीर का अफीम पिलाया गया, झूठा इतिहास पढ़ाया गया और वहां के लोगों को यह विश्वास दिलाया गया कि एक ना एक दिन कश्मीर उनका होकर रहेगा। शिक्षा के अभाव में पाकिस्तान के भोले भाले लोग भारत विरोध के नशे में अपना वर्तमान कुर्बान करते रहे। इधर भारत धीरे-धीरे ही सही मगर अपनी धर्मनिरपेक्षता और उदारता वादी नीतियों के चलते विश्व के अग्रणी देशों से तालमेल बनाकर आगे बढ़ता रहा और आज एक विश्व शक्ति के रूप में उसकी पहचान दुनिया के पटल पर हो रही है। इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस जमाने में आज युवा हो रही पाकिस्तान की वर्तमान पीढ़ी को यह साफ-साफ दिखने लगा है कि भारत विकास की सीढ़ियां चढ़ता हुआ किस प्रकार और क्यों आगे बढ़ रहा है। उन्हें इस बात का भी रंज है कि उन्हीं के देश से टूटकर अलग हुआ बांग्लादेश भी उनसे आगे निकल गया है। पाकिस्तान की कट्टरपंथी सोचने वहां के लोगों का जीवन बदतर बना दिया है। वहां के गृह मंत्री को संसद में खड़े होकर के कहना पड़ रहा है की पूजा करते हुए और नमाज पढ़ते हुए लोगों पर तो कहीं हम ले नहीं होते।

पाकिस्तान आज उस हद को भी पार कर चुका है। सवाल यह है कि क्या सचमुच वहां के हुक्मरान और सियासत दान अपने गिरेबान में झांक कर देखेंगे कि गलती कहां हो रही है। भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने बड़ी उदारता से पाकिस्तान जो सचमुच हमारा अपना ही है हम से ही टूट कर अलग हुआ है उसे अपना महत्वपूर्ण पड़ोसी और व्यवसायिक हिस्सेदार बनाने की कोशिश की तो मियां मुशर्रफ को भारत कि इस उदारता में उसकी कायरता नजर आई। उन्हें लगा मौका अच्छा है अपनी सीमा का विस्तार कर लिया जाए और करगिल की लड़ाई ठोकने का दुस्साहस किया। उस युद्ध में मुशर्रफ को पिछले युद्ध की तरह मुंह की खानी पड़ी। भारत की उदारवादी नीति हर बार पाकिस्तान को कोई न कोई मौका जरूर दिला देती थी। या भारत की बड़ी गलती हुआ करती थी मगर भारत की यही गलती पाकिस्तान के गले में फांस बन गई। भारत की तरफ से हो रहे मित्रता का बार-बार प्रयास को पाकिस्तान हमेशा कमजोरी समझता रहा और उसे लगता रहा एक न एक दिन और भारत को पराजित कर कश्मीर को अपना लेगा। मगर अब परिस्थितियां बदल गई है भारत की नई पीढ़ी पाकिस्तान को इस प्रकार का कोई अवसर प्रदान करने के मूड में नहीं है। केंद्र में एक बेहद मजबूत सरकार और मजबूत इच्छाशक्ति वाले प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राष्ट्रवाद को तथा स्वाभिमान को महत्त्व दे रही है। इस सरकार के पास स्पष्ट लक्ष्य है और उसे प्राप्त करने के लिए एक मजबूत कार योजना है। समझदार हो चुकी भारत की वर्तमान पीढ़ी सरकार के इस ईमानदार प्रयास को पहचान रही है और तमाम हो-हल्ला के बीच उसे बार-बार अपना समर्थन प्रदान कर और मजबूत बना रही है। भारत से जब से अपना लचीलापन समाप्त किया है तब से पाकिस्तान के लिए मुश्किलें बद से बदतर होती जा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को भी लगता है की एक 1सौ 40 करोड़ की आबादी वाला देश भारत उनके लिए बड़ा बाजार है। मजबूत योजना और नीति के चलते पूरी दुनिया भारत की तरफ उम्मीद की नजरों से देख रही है। आज दुनिया की बड़ी से बड़ी अर्थव्यवस्था में भी गिरावट नजर आ रही है जबकि भारत का विकास दर मजबूत बना हुआ है। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका भारत इसी दशक में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। ऐसे में पाकिस्तान के पास भारत के साथ सहयोग करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।
इन परिस्थितियों के बावजूद आज भारत में पाकिस्तान को लेकर जिस प्रकार की बातें हो रही हैं, जिस प्रकार उनकी बदहाली का मजाक उड़ाया जा रहा है क्या वह किसी भी प्रकार से उचित किसी भी प्रकार से उचित है? किसी के दुख को देखकर सुखी होने का भाव सबसे नकारात्मक भावनाओं में से एक है। इससे भारतीय समाज को बचना होगा। एक बड़े और जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में प्रतिक्रिया हो करनी होगी। इससे पाकिस्तान के लोगों के पास भी यह समाचार जाएगा कि उनके सियासत दानों से इधर भारत के आम लोग समझदार हैं और एक बेहतर पड़ोसी होने के सारे गुण रखते हैं। हमें नहीं भूलना चाहिए कि पाकिस्तान एक परमाणु संपन्न देश है। उसके परमाणु हथियार कंगाली की इस अवस्था में किसी गैर जिम्मेदार मुल्क के हाथ की कठपुतली बन जाए या आतंकवादियों के हाथ लग गए तो दुनिया के लिए एक नया सिरदर्द बन जाएगा। बांग्लादेश म्यांमार जैसे देशों से घुसपैठ की समस्या को भारत चल रहा है। अगर पाकिस्तान की यही हालत रहे तो वहां से भी घुसपैठ होना शुरू हो जाएगा जो भारत के लिए एक नई मुसीबत बन सकता है। इसलिए हम सबको ईश्वर से यही प्रार्थना करनी चाहिए पाकिस्तान की स्थिति जल्द से जल्द सामान्य हो जाए क्योंकि सचमुच हम अपना मित्र तो बदल सकते हैं मगर पड़ोसी नहीं और और पाकिस्तान हमारा पड़ोसी है और आगे भी रहेगा।
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