पलायन के नफे नुकसान
- Ajay Dubey
- Dec 3, 2022
- 3 min read
वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में जहाँ उद्योग तथा व्यापार के लिए दुनिया के लगभग सभी देशों ने अपने दरवाजे खोल रखे हैं, वहीं दुनिया का कोई भी व्यक्ति किसी भी देश में अपने जीवन के किसी सार्थक मकसद को लेकर आने जाने के लिए भी स्वतंत्र है। संभावनाओं की तलाश मे अपने क्षेत्र बाहर निकलकर दूसरे क्षेत्र में जाने को ही प्रवासन कहते हैं।

“मुंबई महानगर आर्थिक प्रगति की अपनी मंजिलों को तय करता हुआ निरंतर बढ़ रहा है। जाहिर है कि जहाँ ?, आर्थिक विकास में स्थानीय लोगों का योगदान है वहीं प्रवासी लोगों के महत्वपूर्ण योगदान को भी नकारा नहीं जा सकता।”
PALAYAN KE NAFE AUR NUKSAAN
वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में जहाँ उद्योग तथा व्यापार के लिए दुनिया के लगभग सभी देशों ने अपने दरवाजे खोल रखे हैं, वहीं दुनिया का कोई भी व्यक्ति किसी भी देश में अपने जीवन के किसी सार्थक मकसद को लेकर आने जाने के लिए भी स्वतंत्र है। संभावनाओं की तलाश मे अपने क्षेत्र बाहर निकलकर दूसरे क्षेत्र में जाने को ही प्रवासन कहते हैं।
आज प्रवासन की भावना लगभग हर व्यक्ति में प्रज्वलित है। चलो हम मुंबई का ही उदाहरण लेले। देश का सबसे बड़ा औद्योगिक महानगर समझा जाने वाला तथा देश की आर्थिक राजधानी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाला मुंबई महानगर में पूरे देश के मजदूर और कामगारो को आकर्षित करता है। लेकिन पलायन के पीछे कौन से कारण मौजूद है? पहले तो आर्थिक व्यवस्था । आर्थिक अभावों के चक्कर में भुगयुगान्तरों से पिस रहे निम्न वर्ग के लोगो को कभी भी खुलकर जीने की आजादी नहीं मिली। परिवार के बोझ और सालों का कर्ज चुकाने में ही उनकी पूरी जिंदगी बीत जाती है। ऐसे परिस्थितियों में उत्पीड़ित होने के बजाय अब लोग शहर की तरफ पलायन कर रहे हैं। इसके उपरांत गाँवों में शिक्षा और रोजगार की कमी तो होती ही है साथ ही पीने का पानी, बिजली चिकित्सा आदि मूलभूत सुविधाओं का अभाव भी होता है। इसके चलते लोग शहरों को ज्यादा पसंद करते हैं। साथ ही रोजगार का अवसर, बढ़ते उद्योग अच्छी व्यवस्था ने लोगों को यहाँ बसने पर मजबूर कर दिय ।

पलायन की बढ़ती संख्या के कारण पर संकट मंडराता दिखाई देने लगा है। वे गाँव जहाँ त्यौहार पारंपरिक तरीके से पूरे हर्षोल्लास के साथ मानए जाते थे, वहाँ अब डरावना सन्नाटा पसरता जा रहा है । अधिकांश घरों में पड़े ताले जंग खा रहे हैं। इसके विपरीत स्थिति शहरों में नजर आ रही है। निश्चित रूप से प्रवासन के चलते आज मुंबई की आबादी दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है । रहने के लिए काफी दिक्कत हो रही है। फलस्वरूप सरकार प्रकृति का विनाश गगन चुंबी इमारत बना रही है। यह शहर के प्रदूषण को भी बढ़ा रहा है। समुद्र किनारो को पाटकर इमारतों बनाने के कारण थोड़ी सी बारिश होने पर बाढ़ जैसे हालात पैदा हो रहे है।
इतना ही नहीं, स्थानीय लोगों का यह मानना है कि प्रवासी लोग उनका रोजगार और नौकरियाँ छीन रहे है। इन कारणों की वजह से दोनों के बीच में अविश्वास, और नफरत जैसे नकारात्मक भावना पैदा होने लगते है। लेकिन अब भी यह प्रश्न उठता है कि क्या वास्तव में प्रवासन एक समस्या है ? और किस हद तक प्रवासन के चलते मुंबई महानगर आर्थिक प्रगति की अपनी मंजिलों को तय करता हुआ निरंतर बढ़ रहा है। जाहिर है कि जहाँ ?, आर्थिक विकास में स्थानीय लोगों का योगदान है वहीं प्रवासी लोगों के महत्वपूर्ण योगदान को भी नकारा नहीं जा सकता।
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